Radha Soami Babaji Ki Sakhi। 4 ढेरियाँ विश्वास की

 Radha soami babaji ki sakhi dera beas 2020

एक बार की बात है एक राजा था। उसकी कोई संतान नही थी। 

पुत्र प्राप्ति के लिए उसने हर संभव कोशिश की , लेकिन असफल रहा।
एक दिन उसके राज्य मे किसी तांत्रिक का अवगमन हुआ। राजा ने तुरंत तांत्रिक को अपने पास बुलाया और अपनी व्यथा सुनाई ।
तांत्रिक ने कहा ," महाराज एक रास्ता है"
राजा बोला, "क्या रास्ता है , आप बताइये मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ ,
तांत्रिक बोला , " आपके नसीब मे पुत्र योग तभी होगा अगर आप अपने राज्य मे किसी जवान लड़के की बली देंगे, इसके इलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। 



पुत्र की चाहत मे अंधा हुआ राजा तुरंत ही मान गया।
उसने अगले दिन ही राज्य मे मुनादी करवा दी की जो भी अपना पुत्र मुझे देगा मैं उसे हजार स्वर्ण मुदराए  दूंगा।
यह मुनादी एक दंपति ने सुन ली, उस दंपति के पहले से चार बेटे थे। जिनमे से तीन लड़के अपना कारोबार करते थे।
लेकिन उनमे एक लड़का था जिसे घरवाले निकम्मा मानते थे।
लेकिन वो हमेशा प्रभु भक्ति मे लीन रेहता था। कभी शिकायत या किसी प्रकार की घृणा नही रखता था।
उसके माँ बाप ने सोचा की ये है तो किसी काम का नही , न तो कमाकर देता है बस सारा दिन भक्ति करता रेहता है, ऐसा करते है इसको राजा के पास दे देते है।
जो मुद्राएँ मिलेंगी उनसे बाकी का जीवन समृद्धि मे व्यतीन करेंगे।
ऐसा सोचकर उन्होने उस लड़के को राजा को बेच दिया।
अगले दिन लड़के को राजा के सामने पेश किया गया।
राजा ने उस लड़के से पूछा , " क्या तुम्हें पता है हम तुम्हारी बली देने वाले है ?"
लड़का बोला ," हाँ महाराज ।
राजा , " तो तुम्हारी कोई आखरी इच्छा ?"
लड़का ," महाराज मुझे नदी पर जाने का अवसर दें, मैं अपनी जिंदगी के अंतिम क्षणों मे कुछ खेल खेलना चाहता हूँ"
राजा , " सिपाहियों, इसे नदी के तट पर ले जाओ और ये जो करना चाहता है इसे करने दो। "
राजा के आदेश का पालन करते हुए वो उस लड़के को नदी के तट पर ले गए।
वहाँ जाते ही लड़के ने रेत की चार ढेरियाँ बनाई।
उसने कुछ सोचा और पहली ढेरी को गिरा दिया।
थोड़ा रुका और दूसरी ढेरी को भी गिरा दिया।
ऐसा ही उसने तीसरी ढेरी के साथ भी किया।
लेकिन चौथी ढेरी को उसने प्यार से सहलाया और सिपाहियों को वापस चलने के लिए कहा।
सिपाही उसे दरबार मे वापस ले आए, वापस आकर सिपाहियों ने राजा को सारी घटना के बारे मे बताया।
राजा ने उस लड़के से पूछा की तुमने उन तीन ढेरीओं को क्यू गिरा दिया और चौथी ढेरी को क्यू नही गिराया।
लड़के ने साफ मना कर दिया।






राजा ने उसे हुक्म दिया की अभी मुझे कारण बताए।
राजा के हुक्म का पालन करते हुए उसने राजा को सारी बात ऐसे बताई।
हे राजन, " मैंने पहली ढेरी अपने माँ बाप की बनाई , जिनहोने मुझे जन्म दिया, मुझे इस संसार मे लेकर आए, लेकिन अंत समय मेरा साथ छोड़ दिया, इसलिए मैंने उस ढेरी को गिरा दिया।
दूसरी ढेरी मैंने अपने रिशतेदारों की बनाई, मेरे भाई बहन मेरे सगे संबंधी जिनहोने मुझे कहा की तू चिंता मत कर हम हर अच्छे बुरे वक्त मे तुम्हारे साथ है, लेकिन अंत समय उन्होने मुझे मरवाने मे मेरे माँ बाप का साथ दिया, इसलिए मैंने उसे भी गिरा दिया।
तीसरी ढेरी मैंने देश के राजा की बनाई अर्थात आपकी, राजा का कम होता है बुरे वक्त मे प्रजा का साथ देना न की उनकी हत्या करना, लेकिन जब राजा ही अपने स्वार्थ के लिए प्रजा का नरसंहार करने लगे तो राजा से कोई उम्मीद नही रखी जा सकती, इसलिए मैंने आपकी ढेरी भी गिरा दी।
और चौथी ढेरी मेरे सतगुरु की जिसने आज तक मेरा बाल भी बांका नही होने दिया न ही आज होने देगा, वही  मेरे विश्वास के काबिल है, और मुझे विश्वास है की मेरा सतगुरु मुझे गिरने नही देगा, इसलिए मैंने वो ढेरी नही गिराई।
राजा को उसकी बातें बाण की तरह लगी। उसे समझ आ चुका था की उसका धर्म क्या है और वो किस मार्ग पर चल रहा है।
राजा ने कहा , " तुम्हारी इतनी बुद्धिमता और आस्था पूर्वक बातें सुनकर मुझे मेरी गलती का एहसास है। मुझे इस राज्य के लिए एक होनहार उतराधिकारी की जरूरत है।
मैं आज से तुम्हें अपना पुत्र और आने वाला राजा घोषित कर्ता हूँ।

आस्था और विश्वास आपको कहाँ से कहाँ पहुंचा सकते है अप सोच भी नही सकते। इसलिए अगर आपको आपका सतगुरु विकट परिस्थिति मे डाल दे तो उसका शुक्र करो। क्या पता आपके शुक्र मे ही आपका भला हो।
हमेशा अपनी सोच को पवित्र रखें। जल को कभी गंदे बर्तन मे नहीं रखा जाता। 


साखी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करे। राधा स्वामी जी 


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