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Showing posts from May, 2020

Radha Soami Babaji ki Sakhi। गरीबी का कारण

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Babaji ki Sakhi Dera Beas एक आदमी ने गुरू नानक जी से पूछा: मैं इतना गरीब क्यों हूँ....? गुरू नानक जी ने कहा: तुम गरीब हो क्योंकि तुमने देना नहीं सीखा.... आदमी ने कहा: परन्तु मेरे पास तो देने के लिए कुछ भी नहीं है गुरू नानक जी ने कहा: तुम्हारा चेहरा, एक मुस्कान दे सकता है..तुम्हारा मुँह, किसी की प्रशंसा कर सकता है या दूसरों को सुकून पहुंचाने के लिए दो मीठे बोल बोल सकता है.. तुम्हारे हाथ, किसी ज़रूरतमंद की सहायता कर सकते हैं.. और तुम कहते हो तुम्हारे पास देने के लिए कुछ भी नहीं..!!  आत्मा की गरीबी ही वास्तविक गरीबी है.. पाने का हक उसी को है.. जो देना जानता है... Ye Bhi Padhen :  डेरा ब्यास के सवाल जवाब 🙏🙏राधा स्वामी जी 🙏🙏🙏🙏

Burai Ki Adat | बुराई की आदत | Radha soami dera beas sakhi in hindi

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Babaji Ki Sakhi Radha Soami Ji सत्संग, कीर्तन, कथा में मन नहीं लगता, तो समझ लेना की पाप ज्यादा है। श्री तुलसीदास जी महाराज ने कहा है— तुलसी  पूरब पाप ते ,     हरि चर्चा न सुहात । जैसे ज्वर के जोर से ,       भूख  बिदा  हो  जात ॥ जब ज्वर (बुखार) का जोर होता है तो अन्न अच्छा नहीं लगता । उसको अन्न में भी गन्ध आती है । जैसे भीतर में बुखार का जोर होता है तो अन्न अच्छा नहीं लगता, वैसे ही जिसके पापों का जोर ज्यादा होता है, वह भजन कर नहीं सकता, सत्संग में जा नहीं सकता। बंगाल के गांवों में एक बुढ़ा आदमी सरोवर के किनारे मछलियाँ पकड़ रहा था। दो मालिक  के सेवादारों ने उसे देखा और कहा—‘यह बूढ़ा हो गया, बेचारा भजन में लग जाय तो अच्छा है ।’ उससे जाकर कहा कि तुम मालिक के नाम का  उच्चारण  करो तो, उसे ‘राम’ नाम आया ही नहीं ।वह मेहनत करने पर भी सही उच्चारण नहीं कर सका । कई नाम बताने के बाद में अन्तमें ‘होरे-होरे’ कहने लगा । इस नाम का उच्चारण हुआ और कोई नाम आया ही नहीं ।  उससे पूछा गया कि ‘तुम्हें एक दिनमें कितने पैसे मिलते हैं ?’  तो उन्होंने बताया कि इतनी मछलियाँ मारने से इतने पैसे मिलते हैं ।

Satsang Dera Beas 16 February 2020। 16 फरवरी का सत्संग

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Babaji ka satsang Dera Beas 16 फरवरी 2020 दिन रविवार को डेरा ब्यास में बाबा जी ने तुलसी साहब की बानी “दिल का हुजरा साफ़ कर जाना के आने के लिए” पर प्रातः 9:58 से 11:08 तक (1 घंटा 10 मिनट) सत्संग फ़रमाया । बाबा जी ने सत्संग की शुरुआत में फ़रमाया कि यह तुलसी साहब की बानी है । आपने शेख तकी को समझाने के लिए यह बानी रची है । शेख तकी एक मुसलमान थे और तुलसी साहब हिंदू घराने से संबंधित थे, लेकिन रूहानियत में धर्म से कोई संबंध नहीं होता । तुलसी साहब ने शेख तकी को समझाने के लिए यह ग़ज़ल लिखी और कुरान का हवाला देकर शेख तकी को समझाया । रूहानियत में संबंध सिर्फ प्रेम और प्यार का होता है । हिंदू, मुसलमान, सिख, इसाई - सारी दुनिया का एक ही मालिक है । नाम अलग अलग हो सकते हैं, लेकिन वह मालिक एक है । उस एक ही की भक्ति करनी है । ना वह मंदिर में है, ना मस्जिद में है, ना गुरुद्वारे में, ना कहीं किसी गिरजाघर में है, वह तो हमारे अंदर है । Ye Bhi Padhen : बुराई की आदत आप ने फ़रमाया कि हम जहां उस मालिक को बिठाना चाहते हैं, वह जगह भी तो साफ होनी चाहिए । अगर हमारे घर किसी मेहमान ने आना हो तो किस तरह अपने घ

Radha Soami Babaji Ki Sakhi। 4 ढेरियाँ विश्वास की

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 Radha soami babaji ki sakhi dera beas 2020 एक बार की बात है एक राजा था। उसकी कोई संतान नही थी।  पुत्र प्राप्ति के लिए उसने हर संभव कोशिश की , लेकिन असफल रहा। एक दिन उसके राज्य मे किसी तांत्रिक का अवगमन हुआ। राजा ने तुरंत तांत्रिक को अपने पास बुलाया और अपनी व्यथा सुनाई । तांत्रिक ने कहा ," महाराज एक रास्ता है" राजा बोला, "क्या रास्ता है , आप बताइये मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ , तांत्रिक बोला , " आपके नसीब मे पुत्र योग तभी होगा अगर आप अपने राज्य मे किसी जवान लड़के की बली देंगे, इसके इलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।  Ye Bhi Padhen : दाढ़ी में कंघी पुत्र की चाहत मे अंधा हुआ राजा तुरंत ही मान गया। उसने अगले दिन ही राज्य मे मुनादी करवा दी की जो भी अपना पुत्र मुझे देगा मैं उसे हजार स्वर्ण मुदराए  दूंगा। यह मुनादी एक दंपति ने सुन ली, उस दंपति के पहले से चार बेटे थे। जिनमे से तीन लड़के अपना कारोबार करते थे। लेकिन उनमे एक लड़का था जिसे घरवाले निकम्मा मानते थे। लेकिन वो हमेशा प्रभु भक्ति मे लीन रेहता था। कभी शिकायत या किसी प्रकार की घृणा नही रखता था। उसके माँ बाप ने

Radha soami dera beas hindi sakhi| दाढ़ी में कंघी| Baba Gurinder Singh ji ki

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Radha Soami Sakhi 2020 in Hindi Sakhi of Baba Gurinder Singh ji एक बीबी की शादी सत्संगी परिवार में हो गयी, उस परिवार में सब लोग भजन सिमरन करते थे, जब वो सब भजन पर बैठते थे तब वह बीबी बाबा जी की फोटो निहारती रहती थी, धीरे धीरे समय बीतने लगा, इस दरमियान उस बीबी को एक बेटा भी हो गया, अब बेटा पांच साल का हो गया था, जब वह बीबी बाबा जी की फोटो निहारती थी तब उसका बेटा बाबा जी की फोटो पर कंघी फेरता रहता । खुशकिस्मती से उस बीबी को नामदान की पर्ची मिल गयी और वह नामदान के लिए चली गयी, साथ में अपने बेटे को भी ले गयी । वहां उसके बेटे को बच्चों वाले स्टैंड में सेवादारों के पास छोड़ा और खुद अन्दर नामदान के लिए बैठ गयी, बाबा जी जब नामदान देते हैं तो नामदान के बाद बच्चों को भी दर्शन देने जाते हैं, उस दिन बाबा जी नामदान से पहले ही बच्चों को दर्शन देने चले गए और उस बीबी के बच्चे को गोद में लेकर पूछते हैं, “आज दाढ़ी में कंघी नहीं करनी?” तो वह बच्चा बोला,“बाबा जी मेरी कंघी तो घर पर ही रह गयी है। बाद में जब ये बात उसकी माँ को पता लगी तो वह बहुत रोई और बाबाजी को बहुत याद किया । उसका क्या हाल हु

Radha Soami Hindi Story| बिना बाजू का फकीर| Heart touching story

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Radha soami Very heart touching hindi Story एक फ़क़ीर था। उसके दोनों बाज़ू नहीं थे। उस बाग़ में मच्छर भी बहुत होते थे। मैंने कई बार देखा उस फ़क़ीर को। आवाज़ देकर , माथा झुकाकर वह पैसा माँगता था। एक बार मैंने उस फ़क़ीर से पूछा पैसे तो माँग लेते हो , रोटी कैसे खाते हो ? उसने बताया जब शाम उतर आती है तो उस नानबाई को पुकारता हूँ , ओ जुम्मा ! आके पैसे ले जा , रोटियाँ दे जा। वह भीख के पैसे उठा ले जाता है , रोटियाँ दे जाता है। मैंने पूछा खाते कैसे हो बिना हाथों के ?  वह बोला खुद तो खा नहीं सकता। आने-जानेवालों को आवाज़ देता हूँ ओ जानेवालों ! प्रभु तुम्हारे हाथ बनाए रखे , मेरे ऊपर दया करो ! रोटी खिला दो मुझे , मेरे हाथ नहीं है हर कोई तो सुनता नहीं , लेकिन किसी-किसी को तरस आ जाता है। वह प्रभु का प्यारा मेरे पास आ बैठता है। ग्रास तोड़कर मेरे मुँह में डालता जाता है , मैं खा लेता हूँ। सुनकर मेरा दिल भर आया। मैंने पूछ लिया पानी कैसे पीते हो ? उसने बताया इस घड़े को टांग के सहारे झुका देता हूँ तो प्याला भर जाता है। तब पशुओं की तरह झुककर पानी पी लेता हूँ। मैंने कहा यहाँ मच्छर बहुत हैं। यदि मच्छर लड