Prem Aur Dar। प्रेम और डर । Radha soami sakhi
“बच्चों के मन में डर क्यों?” Why Child Fears छुटपन से ही छोटे-छोटे बच्चे भी डर जाते हैं। बच्चे की समझ में नहीं आता। वह बड़े प्रेम से आया है, माँ की साड़ी खींच रहा है, और माँ झिड़क देती है कि दूर हट! उसे पता ही नहीं कि माँ अभी नाराज है, पिता से झगड़ा हुआ है, या बर्तन टूट गया है, या आज रेडियो बिगड़ गया है, या दूध वाला नहीं आया- हजार मुश्किलें हैं। इस बच्चे को तो इसका कुछ पता नहीं है- इस माँ की अड़चन का। और माँ को कुछ पता नहीं है कि बच्चे को उसकी अड़चन का कोई भी पता नहीं है। वह तो बड़े प्रेम से आया था, साड़ी पकड़कर एक प्रेम का निवेदन करने आया था और झिटक दिया। बच्चा सहम गया। अब दोबारा जब वह साड़ी के पास आएगा तो हाथ में भय होगा। सोचेगा दो बार, दस बार- पकड़ना साड़ी कि नहीं पकड़ना! पहले माँ के चेहरे को पहचान लो। पता नहीं इनकार हो जाए। क्योंकि तब बड़ा दुःख सालता है, घाव हो जाता है। जब तुम्हारे प्रेम को कोई इनकार कर दे, तो इससे बड़ी कोई पीड़ा संसार में दूसरी नहीं। वह बड़े प्रेम से आया था कि पिता की गोद में बैठ जाएगा। लेकिन पिता ने आज कीमती वस्त्र पहने हैं, वे किसी शादी-विवाह में जा रहे हैं। अब ...