Posts

Prem Aur Dar। प्रेम और डर । Radha soami sakhi

Image
“बच्चों के मन में डर क्यों?” Why Child Fears छुटपन से ही छोटे-छोटे बच्चे भी डर जाते हैं। बच्चे की समझ में नहीं आता। वह बड़े प्रेम से आया है, माँ की साड़ी खींच रहा है, और माँ झिड़क देती है कि दूर हट! उसे पता ही नहीं कि माँ अभी नाराज है, पिता से झगड़ा हुआ है, या बर्तन टूट गया है, या आज रेडियो बिगड़ गया है, या दूध वाला नहीं आया- हजार मुश्किलें हैं। इस बच्चे को तो इसका कुछ पता नहीं है- इस माँ की अड़चन का। और माँ को कुछ पता नहीं है कि बच्चे को उसकी अड़चन का कोई भी पता नहीं है। वह तो बड़े प्रेम से आया था, साड़ी पकड़कर एक प्रेम का निवेदन करने आया था और झिटक दिया। बच्चा सहम गया। अब दोबारा जब वह साड़ी के पास आएगा तो हाथ में भय होगा। सोचेगा दो बार, दस बार- पकड़ना साड़ी कि नहीं पकड़ना! पहले माँ के चेहरे को पहचान लो। पता नहीं इनकार हो जाए। क्योंकि तब बड़ा दुःख सालता है, घाव हो जाता है। जब तुम्हारे प्रेम को कोई इनकार कर दे, तो इससे बड़ी कोई पीड़ा संसार में दूसरी नहीं। वह बड़े प्रेम से आया था कि पिता की गोद में बैठ जाएगा। लेकिन पिता ने आज कीमती वस्त्र पहने हैं, वे किसी शादी-विवाह में जा रहे हैं। अब

Radha Soami Babaji Ki Sakhi। बाबाजी के जन्म की अद्भुत कहानी। Radha Soami Sakhi

Image
Radha Soami Babaji ki Sakhi जब बाबा गुरिंदर सिंह जी का जन्म हुआ तब एक बहुत ही अद्भुत घटना हुई।  बाबा जी ने पैदा होने के 3 दिन तक अपनी आंखें नहीं खोली इस पर डॉक्टर बहुत ही आश्चर्यचकित हो गये।   बाबा जी के पिताजी ने बड़े महाराज जी को बुलाया बड़े महाराज जी ने आते ही बाबा जी को अपनी बाहों में लिया, और अपनी उंगली शहद में डुबोकर उनके मुंह में डाली और बोले," अब तो आंखें खोलो "  इतना सुनते ही बाबा जी ने अपनी आंखें खोल ली।  जब बाबा जी 5 वर्ष के थे तब वह ब्यास गए उन्होंने सबको सत श्री अकाल बुलाई पर बड़े महाराज जी को सत श्री अकाल नहीं बुलाई इस पर उनकी माता श्री ने बाबा जी को बोला," अपने मामा जी को सत श्री अकाल बुलाओ" लेकिन बाबा जी ने अपनी माताजी की बात को ऐसे अनसुना कर दिया जैसे उन्हें उनकी बात सुनाई ही ना दी हो इस पर उनकी माता जी को बहुत गुस्सा आया। Ye bhi padhen - Prem Ya Dar  इसपर बड़े महाराज जी बोले "बहन रहने दो यह मेरे से गुस्सा है " इस पर माताजी बोली कि हम अभी तो व्यास आए हैं यह आपसे किस बात पर गुस्सा हो गया । तब बड़े महाराज जी बोले," यह गुस्सा अब का

Meri Maut Kab Hogi। मेरी मौत कब होगी। Radha Soami Sakhi

Image
Meri Maut Kab Hogi| Radha Soami Sakhi एक सत्संगी सेवादार साथ के गांवों का था | वो जब भी  व्यास मैं आता तो बाबा जी से एक बात पूछता की मेरी मौत कब होगी या मैं कब मरूंगा |  तो हजूर जी हर बार उसकी बात को टाल देते | एक दिन वो जिद कर के बैठ गया की बाबा जी आज आपको बताना ही पढ़े गा |  तो बाबा जी कहने लगे की तू नहीं मानेगा चाल आज मैं तुझे बता ही देता हूँ | तो बाबा जी थोड़ी देर चुप होने के बाद कहने लगे के तू कल मर जायेगा । यह बात सुना कर तो उसके पैरों के तले से जमीन ही निकल गई गो | वो उस वक़्त चुप हो गया उसे मरने का डर लग रहा था | अगर किसी भी सत्संगी ने खूब नाम सिमरन किया हो तो मौत के नाम से नहीं डरता है | और न ही मौत से | पर उसने सेवा खूब की थी लेकिन भजन सिमरन नहीं किया था | उसके मन मैं यह था की पूरी उम्र बीत गई और भजन सिमरन तो हुआ ही नहीं और अंदर भी कुछ देखा नहीं | वो सत्संगी यह सोचता है के आधा दिन और एक रात अभी बाकि है वो सत्संगी अपने घर आ गया और उसका सिमरन लगातार चल  रहा था वो एक पल का भी फायदा ले रहा था |वो सीधा अपने घर आया और सीधा अपने कमरे मैं आ गया |  उसने अपने घर वालों को बोल दिया के मुझे

Dera beas Interesting Facts| Radha soami sakhi

Image
RSSB's main centre is Dera Baba Jaimal Singh, named after its founder who settled there in the late 1800’s. Located in Punjab, India, the ‘Dera’ is a self-contained community with both administrative and residential facilities. Although the centres throughout the world are affiliated with RSSB India, each country's administration is autonomous, with a Board of Management that operates under a standard constitution modified to comply with local laws and conditions. Administration is handled entirely by volunteers, and operations are funded through unsolicited donations. The organization does not engage in any fundraising activities. There are more than 5,000 RSSB centres throughout India, and internationally RSSB-affiliated organizations hold meetings in more than  90 countries . Meetings are held in rented halls, community centres or RSSB-owned properties. The purpose of these gatherings is to explain the RSSB philosophy. The meetings are non-denominational and open to the publ

Radha Soami Babaji Ki Sakhi। Birth story Baba Gurinder Singh Ji बाबाजी की अद्भुत जन्म कहानी - Radha Soami Sakhi

Image
Radha soami Ji… When  BABA GurinderSingh Ji  was Born On 1st August 1954, Something Very  Very Strange Happened !!! Guess What ? BABAJI kept His Eyes Closed For 3 Days ! All Docters Were Shocked !!! BABAJI’s Father Called Maharaj Ji ! Maharaj Ji Reached The Hospital At Dera !!! He Dipped His Finger in HONEY n Hold BABAJI in His Arms n Made BABAJI to Taste Honey N said :Hunn Ta Ankha Khol Lo !!! BABAJI opened his EYES ! BABAJI ki Leela BABAJI Jaane ! and whwn BABA JI was about 5-6years HE come to beas with family, HE greeted everybody, bt not Maharaj ji… Then BABA JI’s mother said to BABA JI..”Apne GURU Mama Ji nu Matha teko, bt  BABA JI  shows like dat HE didn’t heard HIS mum’s voice, nd Mum got angry, Den Maharaj Ji Told HIS sister(BABA JI’s Mother) dat”Rehan Do Bhenji, kuch na kaho enu, a mere naal nraaj hai..” Den Baba ji’s mother said,” k assi ta hune aaye ha, fer nraaj kehdi gall to ho gya, na hi o taanu aa k milya hai..” Huzur says,”Nahi a hun kisse gall to nraaz nai, ae(Baba Ji)

सिमरन करते वक्त इन गलतियों से बचो। Things to Avoid While Simran

Image
Mistakes To Avoid In Bhajan Simran   राधास्वामी मित्रों  गुरु प्यारी साध संगत जी राधा स्वामी जी। भजन सिमरन हमारे जीवन का एक अटूट हिस्सा है, हमें रोज रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद भजन सिमरन अवश्य करना चाहिए।  जैसे हम खाना खाते हैं भजन सिमरन को भी उसी तरीके से अपने जीवन से जोड़ना चाहिए। जैसे हम खाने के बिना नहीं रह सकते वैसे ही हमें भजन सिमरन को भी अपने जीवन में मानना चाहिए । भजन सिमरन करते वक्त जाने अनजाने में कुछ गलतियां कर बैठते हैं । भजन सिमरन करते वक्त हमें निम्नलिखित गलतियों को करने से बचना चाहिए । ******************************** 1. कभी भी बिस्तर पर बैठकर भजन सिमरन नहीं करना चाहिए भजन सिमरन हमेशा जमीन पर बैठकर छोटी गद्दी या चद्दर लगाकर करना चाहिए इससे कभी भी आलस्य नहीं आएगा और आप सिमरन को भरपूर समा दे पाएंगे ******************************** 2. भजन सिमरन कभी भी शरीर को बिना ढके नहीं करना चाहिए भजन सिमरन करते वक्त अपने शरीर को किसी पतली शॉल या कपड़े से ढक लें इससे आपको मक्खी मच्छर तंग नहीं करेंगे और आप के भजन सिमरन में रुकावट नहीं बनेगी शुरू शुरू में आपको गर्मी लग सकती ह

क्यों किसी को अंदरूनी भेद नहीँ बताने चाहिए। Why not to reveal your inner experiences

Image
जानिए हमे क्यों किसी को अपनी अंदरूनी तरक्की के बारे में नही बताना चाहिए। राधा स्वामी संगत जी मानव जात की एक सबसे बड़ी खूबी है कि वो जब भी खुश होता है तो वो अपनी खुशी सबके साथ बाँटना चाहता है। यही उसका स्वभाव है और यही उसके लिए बेहतर है। और ख़ुशी के बारे में सबसे मीठी बात ये है कि इसे जितना बांटो, उतना बढ़ती है। लेकिन बात जब रूहानी तरक्की की हो तो यहां ये नियम लागु नही होता। रूहानी तरक्की के बारे में किसी को न बताना ही सबसे बेहतर है। वो क्यों ? कैसे इतनी शक्तिशाली चीज के बारे में बताना हमारे लिए नुकसान देह हो सकता है ? चलिए जानते है। जब आप अंदरूनी दर्शन करते हैं या उस रास्ते पर सफलता प्राप्त करते है तो आपके मन में ये विचार आते है कि आप अपने किसी मित्र या रिश्तेदार को ये बात बताओ, जो आपके बहुत करीब हो। लेकिन भूल कर भी ऐसा ना करें। इससे आपके मन में अहंकार की भावना आ सकती है, दूसरों के सामने खुद को बड़ा महसूस करते हुए आपके मन में विजयी होने जैसे भाव आ सकते है। इससे आपको ये प्रभु की दात कम और खुद की मेहनत ज्यादा लगेगी। फिर आप देखोगे की धीरे धीरे वो दौलत कम हो रही है। ध्यान लगाना और भी जटिल होता